Natasha

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डार्क हॉर्स

को उसके गाँव में हिम्मत और साहस का प्रतीक माना जाता था उसे मनोहर तार तार करके यहाँ नोच रहा था। अब रायसाहब ने संतोष का परिचय कराया, संतोष ने अभी तक मनोहर का वास्तविक फेस नहीं देखा था। फेसपैक वाले मुँह से ही बात हो रही थी।

"रुमवा खोजना है संतोष के लिए।" रायसाहब ने कहा। "अच्छा रूम का लफड़ा है। चलिए चलते हैं। जल्दी से मुँह-हाथ धो लेते हैं। " मनोहर ने बाथरूम जाते हुए कहा संतोष ने मनोहर के रूम को ध्यान से देखा तो सारा कमरा हॉलीवुड देवियों के सुंदर मनोहारी चित्रों से सजा हुआ था। उसके ठीक सामने वाली दीवार पर एपीजे अब्दुल कलाम और विवेकानंद की तस्वीर थी। दोनों महापुरुष तस्वीर में भी लजाए हुए मालूम पड़ रहे थे। दो रेक पर सौंदर्य प्रसाधन और एक पर कुछ किताबें रखी थी। खूंटी पर डिजाइनदार जीस और शर्ट टॅगी हुई थी। मनोहर तब तक चमक के बाहर आ चुका था।

"जरा पैरवा हटाइएगा रायसाहब।" कहते हुए मनोहर ने बैंड के नीचे से सूटकेस निकालते हुए उसमें से नीली शर्ट और पेपे की जीसे निकाली। पूरे बदन का वाइल्ड स्टोन डीओडरेंट से अभिषेक किया। धोधने पर लोटस की क्रीम मली शर्ट पर स्परे मारा और तैयार हो गया। अब वह मिस्टर मोतिहारी लग रहा था। संतोष ने झट से पहले मनोहर का नंबर मांगा और सेव कर लिया। रायसाहब उसे ज्ञान तो दे सकते थे पर दिल्ली जैसे शहर में संतोष के बिहाररूपी छवि और काया को सिटी लुक देने के लिए एक मनोहर जैसे ही फैशनसुधी मित्र की जरूरत थी। मनोहर के कमरे में संतोष को अच्छा महसूस हो रहा था रायसाहब के कमरे की सड़ांध से संतोष के जो नथुने फटे थे उन्हें वह यहां के गमगमाते वातावरण में रफ कर रहा था

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